पीटर्सबर्ग. रूस के एक 'गरीब' गणितज्ञ व संभवतः दुनिया के सबसे तेज दिमाग व्यक्ति ने विश्व की जटिलतम गणित पहेली को सुलझाने के बाद भी एक मिलियन डॉलर की रकम को ठुकरा दिया।द मेल पर छपी एक खबर के मुताबिक दुनिया का यह सबसे तेज जीनियस पिटर्सबर्ग में एक बेहद सामान्य फ्लैट में रहता है। यहां तक कि उसके फ्लेट में कॉकरोच की भरमार है।
जब डॉ. ग्रिगोरी पेरेलेमेन को उनके द्वारा गणितज्ञों के सामने पिछले सौ सालों से सबसे बड़ी चुनौती बनी पॉइनकेयर कंजेक्चर को सुलझाने पर मिलने वाली भारी-भरकम रकम के बारे में बताया गया तो उन्होंने कहा कि उनके पास वो सब है, जो वे चाहते हैं।
डॉ. ग्रिगोरी ने इस जटिल गणित पहेली को सुलझानें में सफलता प्राप्त की थी. 44 वर्षीय डॉ. ग्रिगोरी को क्लेय मैथमेटिक्स इंस्टीट्यूट इन कैंब्रिज, मैसाचुसैट्स ने पिछले हफ्ते एक मिलियन डॉलर के इनाम का विजेता घोषित किया था।चार साल पहले इस समस्या को सुलझाने और इसका जवाब इंटरनेट पर डालने के बाद वो इंटरनेशनल मैथमेटिक्ल यूनियन द्वारा दिया जाने वाला प्रतिष्ठित फील्ड मेडल लेने के लिए भी नहीं पहुंचे थे. उस समय उन्होंने कहा था कि वो ना दौलत चाहते हैं और ना शोहरत। वो किसी चिड़ियाघर में बंद जानवर की तरह देखने का सामान नही बनना चाहते। मैं गणित का कोई हीरो नही हूं और न ही मैं इतना कामयाब हूं, इसलिए मैं चाहता हूं कि सब मेरी तरफ न देखें.
उनकी एक पड़ोसी ने बताया कि एक बार वो उनके घर में गई थी और यह देखकर दंग रह गई थी की उनके प्लैट में सिर्फ एक मेज, स्टूल और बेड ही था। बेड पर भी गंदी चादर बिछी हुई थी। यह चादर भी इस मकान का मालिक छोड़ गया था। डॉ. ग्रिगोरी की यह पड़ोसन कहती है कि हम अपने बिल्डिंग ब्लाक से कॉकरोच से छुटकारा पाना चाहते हैं लेकिन वो उनके फ्लेट में जाकर छुप जाते हैं.
2003 में स्टेकलोव इंस्टिट्यूट ऑफ मैथमेटिक्स पीटर्सबर्ग में शोध करने के दौरान डॉ. ग्रिगोरी ने इंटरनेट पर अपने पेपर पोस्ट करने शुरू किए थे। उनकी इन पोस्ट से पता चला था कि उन्होंने पॉइनकेयर कंजेक्चर को सुलझा दिया है। गणित की यह जटिल पहेली उन सात जटिलतम सवालों में से एक है जिनमें से प्रत्येक के सुलझाने पर क्लेय इंस्टिट्यूट एक मिलियन डॉलर इनाम में देता है।बाद में उनके जबाब के परीक्षणों से यह साफ हो गया की वो सही थे। जिस समय डॉ. ग्रिगोरी ने इसे सुलझाया यह पहेली सौ साल से ज्यादा पुरानी हो चुकी थी और इससे ब्रहमांड के आकार का पता चल सकेगा.
2003 के बाद डॉ. ग्रिगोरी ने स्टेकलोव इंस्टिट्यूट से इस्तीफा दे दिया और उनके मित्र बताते हैं कि उन्होंने गणित से भी संबंध तोड़ लिया है। अब वो गणित पर चर्चा भी करना पसंद नही करते हैं।
(bhaskar)
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कोई भी मूल्य एवं संस्कृति तब तक जीवित नहीं रह सकती जब तक वह आचरण में नहीं है.
आश्चर्य है!
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ReplyDeleteइनके व्यक्तित्व से बहुत प्रभावित हुआ हूँ...
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