१९८३ तक भारत को अपने हिमालयी क्षेत्र का पूरा सामरिक ज्ञान नहीं था. उसी साल जब Col. नरेन्द्र 'Bull' कुमार अपने गोरखा साथियों को लेकर बर्फीले रेगिस्तान में घूमे तो उन्हें जानकारी मिली कि पकिस्तान उस भारतीय भू-भाग पर अवैध अधिकार जताने की तैयारी कर रहा है. इसी नए क्षेत्र को सियाचिन कहते हैं. उस समय अमेरिका अपने मानचित्र में सियाचिन को पाकिस्तान का भाग बता रहा था.
Col. नरेन्द्र 'Bull' कुमार सिया कांगड़ी चोटी पर पहुँचाने वाले पहले भारतीय थे. इस चोटी से सियाचिन का मनोरम दृश्य देखते ही बनता है. सेना ने सियाचिन को अपने अधिकार क्षेत्र में लेने के लिए शीघ्र ही कदम उठाये. कुमाऊँ Regiment की चौथी battalion को तैयार किया गया. और इस प्रकार जन्म हुआ Operation Meghdoot का. १३ अप्रैल, १९८४ को Bilafond La (आज यह दर्रा सियाचिन base camp का एक भाग है) पर Air force choppers से सेना के जवान उतरने लगे.
भारत ने पहली बार सियाचिन पर अपना अधिपत्य जताया था. अडिग कुमाऊँ Regiment ने शीघ्र ही ऊपर चढ़कर सिया ला और ग्योंग ला नामक दो दर्रों पर पहुँच बनायी और खून जमा देने वाली कड़कड़ाती ठण्ड में जवानों ने सेना के लिए एक छोटा सा अड्डा बनाया.
बाद में सेना ने और भी अड्डे बनाए और उनमें से एक महत्वपूर्ण अड्डे का नाम रखा गया कुमार Base. संभवतया यह एक मात्र अवसर है जब सेना के किसी भी जीवित अधिकारी को ऐसा अनोखा सम्मान प्राप्त हुआ है.
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-----------------------------------------------------------------------------------------------कोई भी मूल्य एवं संस्कृति तब तक जीवित नहीं रह सकती जब तक वह आचरण में नहीं है.