20100117

खुशहाली का जीडीपी से कोई रिश्ता नहीं होता

भारत सरकार देश के विकास के लिए जीडीपी बढ़ाने पर पूरा जोर देती है। उसकी मान्यता है कि जीडीपी अगर 10 फीसदी पर पहुंच जाय तो देश की समस्याएं जैसे गरीबी, भुखमरी, बेरोजगारी, गैर-बराबनी काफी हद तक समाप्त हो जायेंगी। पर दुनिया के अन्य देशों का अनुभव इस बात की पुष्टि नहीं करता। इस लेख में यही दिखाया गया है कि जीडीपी ऊँचा होने पर भी लोगों में खुशहाली नहीं आ सकती और जीडीपी कम भी हो तो भी खुशहाली लायी जा सकती है। सं.

5 अक्टूबर 2009 को संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम की मानव रिपोर्ट 2009 जारी हुई। इसमें उन देशों का उल्लेख विशेष रूप से किया है जिन्होंने अपने देश में ज्यादा खुशहाली पैदा की है यानी जिनका मानव विकास सूचकांक (एचडीआई) काफी ऊँचा है। एक बार फिर इस रिपोर्ट ने क्यूबा की असाधारण उपलब्धियों को विशेष रूप से उजागर किया है। विकास के आँकड़ों और अनुमापन पर यह रिपोर्ट सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला स्रोत है। यह प्रत्येक देश की विकास की स्थिति और प्रगति की तुलना करती है।

इस साल के बहुत से आंकड़े दिये हैं। लोगों की खुशहाली के सार सूचकांक एचडीआई को इस्तेमाल करके दिये गये हैं। एचडीआई में चार सूचकांक शामिल किये जाते हैं। जिन्दा रहने की औसत आयु, साक्षरता, स्कूल में भर्ती और प्रतिव्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी)। ये आंकड़े 182 देशों के दिये गये हैं।

गरीबी से पीड़ित छोटा टापू क्यूबा, जिसकी अर्थव्यवस्था को लुंज बनाने के लिए अमरीका ने आर्थिक बिन्दश लगा रखी है, इसके बावजूद मुख्य रूप से लोगों के स्वास्थ्य और शिक्षा में सबसे आगे है। क्यूबा का शिक्षा का सूचकांक दुनिया में सबसे ऊँचा है, उसके बराबर ऑस्ट्रेलिया, फिनलैंड, डेनमार्क और न्यूजीलैण्ड आते हैं। क्यूबा का शिक्षा सूचकांक 0.993 है, प्रौढ़ साक्षरता दर 99 फीसदी है और स्कूल में भर्ती 100 फीसदी है। क्यूबा में शिक्षा पर सरकारी खर्च कुल सरकारी खर्च का 14.2 फीसदी है। यह ऑस्ट्रेलिया (13.3 फीसदी) और अमरीका (13.7 फीसदी) से अधिक है।

प्राथमिक, माध्यमिक और उच्च शिक्षा में प्रवेश में लड़के-लड़कियों की संख्या का अनुपात दुनिया में सबसे ज्यादा 121 फीसदी है। जिन्दा रहने की उम्र क्यूबा में 78.5 साल है। लातिनी अमरीका में यह उच्चतम है, इसके बराबर चिली की है। यह आस्ट्रेलिया की 81.4 साल और अमरीका की 79.1 साल से मेल खाती है।

स्वास्थ्य और शिक्षा में क्यूबा या तो चोटी पर है, या चोटी के निकट है, पर जीडीपी में यह काफी नीचे है। जीडीपी में यह दुनिया में 95वें स्थान पर आता है। कम जीडीपी के कारण यह मानव विकास रिपोर्ट एचडीआर की सूची में 51वें स्थान पर आता है। फिर भी इसकी एचडीआर रैंकिंग जीडीपी रैंकिंग से काफी ऊँची है। इन दोनों रैंकिंग का अन्तर यह दिखाता है कि कैसे कोई कम आय वाला देश राष्ट्र की आय को कुशलतापूर्वक अपने लोगों के स्वास्थ्य और शिक्षा पर लगा सकता है। इस श्रेणी में क्यूबा दुनिया में बहुत आगे है।

उदाहरण के लिए मेक्सीको का जीडीपी क्यूबा से दूना है, लेकिन इसका एचडीआई नीचे है। प्रतिव्यक्ति जीडीपी में अमरीका 9वें स्थान पर है, पर एचडीआई रैंकिंग में 13वें स्थान पर आता है। यह दिखाता है कि अमरीका अपनी सम्पत्ति को लोगों के स्वास्थ्य और शिक्षा पर कम लगाता है।

रिपोर्ट में एक अनुमापन `जेंडर सशक्तीकरण´ है। इसका एक सूचकांक है संसद में महिला सीटों की संख्या। क्यूबा में 43 फीसदी संसद की सीटें महिलाओं के पास है। यह दुनिया में तीसरा स्थान है, पहले स्थान पर रुआंडा (51 फीसदी) और दूसरे पर स्वीडेन (47 फीसदी) है। आस्ट्रेलिया 30 फीसदी और अमरीका में केवल 17 फीसदी है, भारत में 7 फीसदी है। 2005 से अजरबैजान, क्यूबा और बेनेजुएला ने अपना एचडीआई अन्य देशों की तुलना में ज्यादा बढ़ाया हैं। पिछले साल के मुकाबले बैनेजुएला 4 सीढ़ी ऊपर चढ़ गया है 62 से 58 पर पहुंचा है। एचडीआई में भी बैनेजुएला ने 2000 से 2007 तक काफी प्रगति की है। इस अवधि में उसकी दर 5.2 फीसदी रही है। जबकि इससे पहले 20 सालों में यह 4.8 फीसदी रही थी।

विकास का एक सूचकांक गैर-बराबरी है। एचडीआई में आस्ट्रेलिया दूसरे स्थान पर है। तथाकथित विकसित देशों में यह सबसे अधिक गैर-बराबरी वाले देशों में से एक है। रिपोर्ट बताती है कि आस्ट्रेलिया की आबादी में सबसे अमीर 10 फीसदी लोगों की आमदनी सबसे गरीब 10 फीसदी लोगों की आमदनी से 12.5 गुनी ज्यादा है। जापान में यह अनुपात 4.5, नार्वे में 6.1 और स्वीडन में 6.2 है अमरीका में यह आंकड़ा 15.9 है, क्यूबा में 4 है और शायद दुनिया में यह सबसे अच्छा है।

इस रिपोर्ट से एक निष्कर्ष निकलता है कि 1. जो सरकार, जैसे अमरीका और आस्ट्रेलिया में गुणवत्ता पूर्ण स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा को कुछ लोगों का विशेषाधिकार बना देती है, वह गैर बराबरी पैदा करती है और बढ़ाती है। 2. जो सरकार जैसे क्यूबा में, अपने सभी नागरिकों को मुफ्त शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराती है, सभी को लाभ पहुंचाती है और वह गैर-बराबरी को कम करती है.

----------------------------------------------------------------------------------------------------
कोई भी मूल्य एवं संस्कृति तब तक जीवित नहीं रह सकती जब तक वह आचरण में नहीं है.

No comments:

Post a Comment