कश्मीर घाटी में चार हजार से अधिक कश्मीरी पण्डितों के वापस लौटने का रास्ता साफ हो गया है. चार हजार से अधिक कश्मीरी पण्डितों ने घाटी में वापस लौटने पर अपनी रजामंदी दे है जिनके लिए सरकार व्यवस्था करेंगी.
राज्य विधानसभा की आश्वासन समिति ने कश्मीरी पंडितों की घाटी वापसी की योजना पर विचार-विमर्श करते हुए कहा है कि इसे प्रभावी बनाते समय विभिन्न समुदायों को करीब लाने की कोशिश की जाए। समिति के अनुसार घाटी में वापसी के लिए 4272 पंडितों ने आवेदन किया है। इनमें से श्रीनगर जिले के लिए 1185, पुलवामा के लिए 1120, शोपियां के लिए 447, कुपवाड़ा के लिए 412, अनंतनाग के 344, बडगाम के 282, बारामूला के 238, कंगन के 146 व गांदरबल लौटने के लिए 98 विस्थापितों ने आवेदन किया है।
विस्थापित कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास के लिए प्रधानमंत्री के विशेष पैकेज के तहत इस समुदाय के लोगों को तीन हजार नौकरियां देने के प्रस्ताव को हाल ही में मुख्यमंत्री उमर फारूक ने मंजूरी दी है। इस प्रस्ताव का लाभ उठाने के लिए 13,971 युवाओं ने नौकरी के लिए अपना बायोडाटा दिया है। कश्मीरी पंडितों के लिए शेष तीन हजार नौकरियों का प्रबंध केंद्र को करना है। विधायक एमवाई तारीगामी की अध्यक्षता में हुई आश्वासन समिति की बैठक में राजस्व विभाग की ओर से दिए गए कई आश्वासनों पर भी गौर किया गया। इस दौरान कमेटी के सदस्यों की ओर से भी कश्मीरी पंडितों की घाटी वापसी को लेकर सुझाव दिए गए। बैठक में मौजूद अधिकारियों ने घाटी वापसी को लेकर बनाई गई योजना और पंडितों को मिलने वाले वित्तीय लाभ के बारे में भी बताया। समिति के मुताबिक विस्थापितों के लिए शेखुपोरा में 78 फ्लैट बनाए गए हैं, जबकि 60 फ्लैटों का निमार्ण जल्द पूरा हो जाएगा। कुलगाम के वैसु व बारामूला के खानपुर में भी विस्थापितों के रहने के लिए बुनियादी ढांचा जुटाया जाएगा।
27 तारीख को नई दिल्ली में पनुन कश्मीर के एक वार्षिक सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए राज्य के राज्यपाल एस के सिन्हा ने कहा था कि कश्मीरी पण्डितों के लिए जितना कुछ किया जाना चाहिए था वह नहीं किया जा सका, इसके लिए देश को कश्मीरी पण्डितों से माफी मांगनी चाहिए.
कोई भी मूल्य एवं संस्कृति तब तक जीवित नहीं रह सकती जब तक वह आचरण में नहीं है.
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