20090220

एक और रक्षा घोटाला, एक और बोफोर्स

10 हजार करोड़ रूपए का एक रक्षा सौदा यूपीए सरकार के लिए जी का जंजाल बनता नजर आ रहा है. डर है कि कहीं ये बोफोर्स या उससे भी खतरनाक न बन जाय. सौदे का रिश्ता इजरायल की विवादास्पद रक्षा उत्पाद कंपनी से है. इजरायली कंपनी के पक्ष में हुई इस डील पर उपजे विवाद को लोग सीधे तौर पर वोट बैंक की सियासत से जोड़ रहे हैं.
लोकसभा चुनाव से ऐन पहले यूपीए सरकार को इसे लेकर कटघरे में खड़ा करने की कोशिशें तेज हो गई हैं. कांग्रेस के हिसाब बराबर करने के लिए वामपंथी दलों की ओर से मामले को ज्यादा तूल दिया जा रहा है.

दरअसल रक्षा मंत्रालय ने इजरायल की रक्षा उत्पाद कंपनी आईएआई से 12 एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम की खरीद के करार किया है. करार पिछले साल हुआ. तब अमेरिका से परमाणु करार को लेकर कसरतें चल रही थीं. वामपंथी दल एतराज के बावजूद यूपीए सरकार को समर्थन दे रहे थे. करात ने रक्षा करार पर अंगुलियां तब भी उठाई थीं, प्रधानमंत्री को आपत्तिजनक खत लिखा था. लेकिन न जाने क्यों साल भर तक चुप रहने के बाद अब फिर खत लिखकर बवाल खड़ा कर दिया है.
करात ने एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम की खरीद के इस रक्षा सौदे में बोफोर्स से भी बड़े घोटाले की गंध महसूस की है. और प्रधानमंत्री को लिखे खत में कई आपत्तिजनक तथ्यों को सामने रखा है. मसलन जिस इजराईली कंपनी IAI के साथ करार हुआ है.वो पहले से black listed है. सीबीआई IAI के खिलाफ बराक मिसाईल सौदे में घूस देने और भ्रष्ट्राचार की जांच कर रही है. माकपा महासचिव करात ने लिखा है," भारतीय हितों की बलि चढा़कर हुआ ये सौदा चौंकाने वाला है. इजराईली कंपनी के साथ करार करने से पहले रक्षा मंत्रालय ने या तो जरूरी तैयारी नहीं की या फिर जानबूझकर आपत्तिजनक मसलों को नजरअंदाज कर दिया है."

रक्षा सौदे की जल्दीबाजी घोटाले की बू दे रही है. सबसे कच्ची बात ये है कि IAI ने Air Defense Missile System अब तक विकसित ही नही किया है जिसे खरीदने के लिए भारत ने उससे दस हजार करोड़ रूपये का सौदा कर लिया है. सिस्टम के विकसित होने के बाद ही पता लगेगा कि वो हमारी मकसद को पूरा कर पाएगा या नहीं. दूसरा सबसे आपत्तिजनक पहलू सौदे में अपने DRDO की उपेक्षा से जुड़ा है. DRDO का Advance Air Defense (AAD) मिसाइल सिस्टम विकसित पड़ा है. उसका फिल्ड टेस्ट तक पूरा हो चुका है. AAD दुश्मन के मिसाइल और एयरक्राफ्ट दोनों को नेस्तानाबूत करने की क्षमता रखता है. AAD की अदभूत क्षमता के बारे में कहा जाता है कि ये 18 किलोमीटर की ऊंचाई पर ही ब्लास्टिक मिसाइल को स्वाहा कर सकता है. जबकि IAI का सिस्टम सिर्फ दुश्मन के एयरक्राफ्ट से जुझने के लिए विकसित हो रहा है. फिर IAI के मिसाइल सिस्टम तकनीक,कीमत और आपरेशनल तैयारी के लिहाज से भी DRDO के AAD से बेहद कमजोर है.

जिस तरीके से इजरायल की कंपनी को राष्ट्रीय हितों से ऊपर उठकर मदद दी गई है उसे लेकर बोफोर्स जैसे बबाल के उठने की आशंका जताई जा रही है. राजनीति गरमाने लगी है. मसलन इजरायल की IAI के साथ हुए करार में प्रावधान है कि DRDO उससे खरीदे गए मंहगे और कमतर सिस्टम को भारतीय स्वरुप देने में मदद करेगा. जबकि सच्चाई है कि रक्षा मंत्रालय की उपेक्षा की शिकार DRDO ने उससे उन्नत और काबिल सिस्टम विकसित कर रखा है.
(www.visfot.com से साभार)
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