20090201

मुम्बई हमले के बाद

यह लेख मैने संजयजी के एक लेख के उत्तर में लिखा है.

संजयजी, महत्वपूर्ण मुद्दे की चर्चा में आपका लेख तथ्यों का खुलासा करता है. लिखने के लिये धन्यवाद.
पर अब पाठकगण स्वयं निर्णय ले सकते हैं कि बरखा देवी की इस 'दिलेरी' के प्रति आप क्यों इतनी सहानुभूति दिखा रहे हैं. एक ओर तो आप उनका बचाव कर रहे हैं और बाद में इलैक्ट्रोनिक मीडिया को दोषी बता रहे हैं. क्या दोनों अलग हैं?

जैसा कि सभी पाठक जानते हैं कि मुम्बई हमले के समय हिन्दुस्तान का सारा इलैक्ट्रॉनिक मीडिया खोज-खोज कर फ़ंसे हुये लोगों की संख्या, छिपे लोगों की स्थिति बताने के साथ हमारी कमांडो कार्यवाही की जानकारी दे रहा था जिसका सीधा फ़ायदा पाकिस्तान में बैठे आकाओं को आसानी से हो रहा था. इस घटना का हवाला देते हुये एक हिंदुस्तानी ने अपने ब्लॉग में कुछ खरा कह दिया तो लोग उसके पीछे पड़ गये.

मानता हूँ कि बरखा देवी अपने मालिक द्वारा दिये कार्य को पूरा करने में तल्लीन थीं और केवल उनको ही गाली खाने का हक़ नहीं है...... और भी लोग हैं. ये भी मानता हूँ कि व्यक्तिगत रूप से महिला ही नहीं किसी को भी गाली नहीं देना चाहिये.

पर जब प्रश्न किसी राष्ट्र की सुरक्षा का हो, सुरक्षा व्यवस्था का हो तो कैसे कोई अपने उत्तरदायित्व से मुक्त रह सकता है? संभव है कि १९९९ में भारतीय सेना भी इसी टीआरपी छाप पत्रकारिता की शिकार रही हो.
किसी पीड़ित से पूछिये जिसने माँ, बहन, भाई, पिता, पति या पत्नी को खो दिया. ये लोग भी संविधान में समान अधिकार रखते थे. उनके जीवन से ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं हैं ये बरखा जैसे लोग या ये NDTV जैसे दूसरे अन्य TV चैनल.

प्रश्न एक बरखा या किसी NDTV का नहीं है.... एक ही दिन, एक ही समय पर कई ऐसे सम्मिलित प्रयास किये गये भारत की सुरक्षा व्यवस्था को छलनी करने के. उन सबमें होड़ लगी थी कि कौन कितना बड़ा देशद्रोही है. और सारा तंत्र मूक दर्शक की भाँति मौन है. अब एक कानून बना देने से सांत्वना दी जा रही है हमें.
बिल्कुल सही लिखा है मैंने... ये देशद्रोह नहीं तो और क्या है?...... देशप्रेम की किस नयी परिभाषा में बाँधना चाहेंगे इस कृत्य को.

१९९३ में इसी मुम्बई में एक और भयानक हादसा हुआ था और देश को जो सबक सीखना चाहिये था वह नहीं सीखा गया. उस समय संजय दत्त को भी आरोपी बनाया गया (मामला court में चल रहा है). ऐसे तो संजय दत्त ने भी किसी आदमी को नहीं मारा था (संजय के बारे में अलग से लिखूंगा). अब वो समाज सेवा करने जा रहे हैं... ... ... वे लखनऊ से सांसद पद के प्रत्याशी हैं..... संभव है कि कल बरखा देवी भी समाज सेवा में उतर जायें.

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कोई भी मूल्य एवं संस्कृति तब तक जीवित नहीं रह सकती जब तक वह आचरण में नहीं है.

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