बहुधा ऐसा होता है की जब हमारा कोई साथी - सम्बन्धी अपने मार्ग से पतित होता है या भटकता है तो हम उसका साथ छोड़ जाने को उद्यत हो उठते हैं क्योंकि हमारी दृष्टि में उस समय बुरे का साथ छोड़ देना ही उचित जान पड़ता है.
पर यदि आप गहरे से सोचें तो पायेंगे की उस समय ही आपको उस व्यक्ति का साथ अवश्य देना चाहिए.
सच्चा साथी वह है जो साथी को भटकने से बचाए.
------------------------------------------------------ कोई भी मूल्य एवं संस्कृति तब तक जीवित नहीं रह सकती जब तक वह आचरण में नहीं है.
पर यदि आप गहरे से सोचें तो पायेंगे की उस समय ही आपको उस व्यक्ति का साथ अवश्य देना चाहिए.
सच्चा साथी वह है जो साथी को भटकने से बचाए.
------------------------------------------------------ कोई भी मूल्य एवं संस्कृति तब तक जीवित नहीं रह सकती जब तक वह आचरण में नहीं है.
SAHI KAHA AAPNE .........
ReplyDeleteएक film देखते हुए यह ख्याल आया जिसमे एक संभावना थी एक साथी दूसरे को छोड़ सकता था.
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