इस साल तो ऐसा लगता है कि भगवान हम सबसे रुष्ट हो गये हैं. इस बार तो पता ही नहीं चला कि सर्दियां आयीं और चलीं भी गयीं. खड़गपुर में गत ७ दिन से न्यूनतम तापमान २० से अधिक और अधिकतम तापमान ३० से ऊपर ही रहा है. इस बार फ़सलों को बहुत ही नुकसान हो रहा है. आगे मई-जून के मौसम के बारे में कल्पना ही की जा सकती है.
अभी कोई इस तरफ़ ध्यान ही नहीं दे रहा है कि इसका एक कारक प्रदूषण भी है.
हम हिंदुस्तानी भाई-बंधु हर पल, हर संभव प्रकार से कूड़ा करने की साधना में लीन रहते हैं.
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कोई भी मूल्य एवं संस्कृति तब तक जीवित नहीं रह सकती जब तक वह आचरण में नहीं है.
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