20090128

कर्नाटक के दंगे के पीछे क्षुद्र ईसाइयत

वहां चर्च की ओर से आयोजित प्रार्थना सभाओं में एक पुस्तिका सार्वजनिक रूप से वितरित की गयी जिसका नाम है- सत्यदर्शिनी. इम पुस्तक के पेज नंबर ४८ से ५० पर ऐसे कुछ पैराग्राफ हैं जिनमें हिन्दू देवी-देवताओं के लिए अत्यंत अनादरपूर्ण शब्दों का इस्तेमाल किया गया है. इन प्रार्थना सभाओं में ईसाईयों के अलावा हिन्दू लोग भी भारी संख्या में आये थे. उन्होंने पढ़ा तो प्रतिक्रिया तो होनी ही थी. इसका समाज और गांव के लोगों ने विरोध किया.

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कोई भी मूल्य एवं संस्कृति तब तक जीवित नहीं रह सकती जब तक वह आचरण में नहीं है.

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