20090330

आचार संहिता का उल्लंघन...चुपचाप

न कोई विज्ञप्ति, न कोई सार्वजनिक घोषणा। रिजर्व बैंक ने चुपचाप एक अधिसूचना जारी कर यूपीए सरकार की सर्वाधिक लोकलुभावन किसानों की कर्जमाफी योजना में नई राहत दे दी। वह भी उन किसानों को जिनके पास दो हेक्टेयर या पांच एकड़ से ज्यादा जमीन है। कर्जमाफी योजना के तहत इन किसानों को बकाया कर्ज में एकल समायोजन (वन टाइम सेटलमेंट) के तहत 25 फीसदी छूट देने का प्रावधान है, बशर्ते ये लोग बाकी 75 फीसदी कर्ज तीन किश्तों में अदा कर देते हैं।

पांच एकड़ से ज्यादा जोत वाले इन किसानों को बकाया कर्ज की पहली किश्त 30 सितंबर 2008 तक, दूसरी किश्त 31 मार्च 2009 तक और तीसरी किश्त 30 जून 2009 तक चुकानी है। लेकिन रिजर्व बैंक ने दूसरी किश्त की अंतिम तिथि से आठ दिन पहले सोमवार को अधिसूचना जारी कर पहली किश्त को भी अदा करने की तिथि बढ़ाकर 31 मार्च 2009 कर दी है। दिलचस्प बात यह है कि रिजर्व बैंक के मुताबिक तिथि को आगे बढ़ाने का फैसला भारत सरकार का है। जाहिर है, इससे सीधे-सीधे देश के उन सारे बड़े किसानों को फायदा मिलेगा, जिन्होंने अभी तक पहली किश्त नहीं जमा की है।

2 मार्च को आम चुनावों की तिथि की घोषणा हो जाने के बाद देश में आचार संहिता लागू हो चुकी है। ऐसे में रिजर्व बैंक या किसी भी सरकारी संस्था की ऐसी घोषणा को आचार संहिता का उल्लंघन माना जाएगा जो आबादी के बड़े हिस्से को नया लाभ पहुंचाती हो। शिवसेना के राज्यसभा सांसद संजय राउत कहते हैं कि साढ़े पांच महीने से केंद्र सरकार सोई हुई थी क्या? चुनावों की तिथि घोषित हो जाने के बाद वित्त मंत्रालय की पहले पर की गई यह घोषणा सरासर आचार संहिता का उल्लंघन है। आदित्य बिड़ला समूह के प्रमुख अर्थशास्त्री अजित रानाडे कहते है कि वैसे तो रिजर्व बैंक एक स्वायत्त संस्था है। लेकिन चूंकि अधिसूचना में भारत सरकार के फैसले का जिक्र किया गया है, इसलिए यकीनन यह चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन है।

असल में केंद्र सरकार की कर्जमाफी योजना के तहत पांच एकड़ से कम जमीन वाले लघु व सीमांत किसानों को 31 मार्च 1997 के बाद 31 मार्च 2007 तक वितरित और 31 दिसंबर 2007 को बकाया व 29 फरवरी 2008 तक न चुकाए गए सारे बैंक कर्ज माफ कर दिए थे। लेकिन पांच एकड़ से ज्यादा जोतवाले किसानों को कर्ज में 25 फीसदी की राहत दी गई थी। इस कर्ज की रकम की व्याख्या ऐसी है कि इसकी सीमा में ऐसे किसानों के सारे कर्ज आ सकते हैं। वित्त मंत्रालय की अधिसूचना के मुताबिक इन किसानों के लिए कर्ज छूट की रकम या 20,000 रुपए में से जो भी ज्यादा होगा, उसका 25 फीसदी हिस्सा माफ कर दिया जाएगा। लेकिन यह माफी तब मिलेगी, जब ये किसान अपने हिस्से का 75 फीसदी कर्ज चुका देंगे। इसकी भरपाई बैंकों को केंद्र सरकार की तरफ से की जाएगी। दूसरे शब्दों में 30 जून 2009 तक बड़े किसानों द्वारा कर्ज की 75 फीसदी रकम दे दिए जाने के बाद उस कर्ज का बाकी 25 फीसदी हिस्सा केंद्र सरकार बैंकों को दे देगी।

रिजर्व बैंक ने सोमवार, 23 मार्च को जारी अधिसूचना में कहा है कि समयसीमा केवल 31 मार्च तक बकाया किश्तों के लिए बढ़ाई गई है और तीसरी व अतिम किश्त के लिए निर्धारित 30 जून 2009 की समयसीमा में कोई तब्दीली नहीं की गई है। तब तक अदायगी न होने पर बैंकों को ऐसे कर्ज को एनपीए में डाल देना होगा और उसके मुताबिक अपने खातों में प्रावधान करना होगा.

(अनिल रघुराज)

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कोई भी मूल्य एवं संस्कृति तब तक जीवित नहीं रह सकती जब तक वह आचरण में नहीं है.

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