20100824

रक्षाबंधन पर्व

आज रक्षाबंधन है.

भारतीय इतिहास में रक्षाबंधन का महत्व
देवी-देवताओं ने भी रक्षा सूत्र के महत्व को समझा और विभिन्न मुहूर्त पर इन्हें बांधा है. एक और जहां माता लक्ष्मी ने राजा बली को रक्षा सूत्र बांधा था, तो वहीं द्रोपदी का चीर श्रीकृष्ण ने इसीलिए बढ़ाकर उसकी लाज बचाई थी कि उसने कभी श्री कृष्ण को रक्षा सूत्र बांधा था. यम ने अपनी बहन यमुना को राखी बांधी थी, तब से भाई-बहन के बीच रक्षा बंधन पर्व मनाया जा रहा है.

१९०५ में गवर्नर जनरल और भारत के वायसराय कर्जन (१८९९ -१९०५ पूर्ण नाम: जॉर्ज Nathaniel कर्जन) ने बंगाल को दो भागों में विभाजित करने का निर्णय लिया . रवीन्द्रनाथ टैगोर ने इस निर्णय के खिलाफ जोरदार विरोध किया. टैगोर ने कई राष्ट्रीय गीतों की रचना की और विरोध बैठकों में भाग लिया. उन्होंने अंतर्निहित एकता के प्रतीक के रूप में "राखी बंधन " समारोह की शुरुआत की. टैगोर ने इस समारोह को सांप्रदायिक भाईचारे के प्रतीक के रूप में स्थापित किया. विभाजन के विरोध में लोग नंगे पैर चले. हिंदू और मुसलमान दोनों ने एक दूसरे की कलाई पर पीले धागे बांधे. रामेन्द्र सुन्दर त्रिवेदी (जन्म २० अगस्त, १८६४ मुर्शिदाबाद, प. बंगाल) जो कि एक प्रसिद्ध निबंधकार, शिक्षाविद् और वैज्ञानिक होने के साथ वह टैगोर के एक मित्र भी थे, ने इस संबंध में गृहिणिओं को प्रेरित करने के लिए "बंगलक्ष्मीर व्रतकथा भी लिखी थी.

-----------------------------------------------------------------------------------------------कोई भी मूल्य एवं संस्कृति तब तक जीवित नहीं रह सकती जब तक वह आचरण में नहीं है.

1 comment:

  1. रक्षा बंधन की हार्दिक शुभकामनाएँ.

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